23 जन॰ 2013

प्यार क्या होता है?

मिलोगी कभी तो पूछूँगा मैं तुमसे कि प्यार क्या होता है? क्या प्यार वह होता है जिसकी खातिर पेट्रेयस इस्तीफ़ा दे देता है? या प्यार वह होता है जो यश चोपड़ा की फिल्मों में होता है? या प्यार वह होता है जिसमें चालीस साल की होने पर भी एक औरत एक बच्ची की तरह फूट-फूट कर रोती है अल्हड़ की तरह हँसती है एक युवती की तरह कभी कनखियों से देखती है तो कभी नज़रें झुका कर अंगूठे से मिट्टी कुरेदती है? या प्यार वह होता है जिसमें एक कवि एन-आर-आई को छोड़ प्यार की परिभाषा खोजने लग जाता है? मिलोगी कभी तो पूछूँगा मैं तुमसे ...

10 दिस॰ 2009

प्यार

वास्तव में क्या है प्यार समझने की कोशिश करता ह तो समझ नहीं पाता और समझ भी जाता ह कि क्या है प्यार। आत्मा की गहराई है प्यार आस्था का पहाड है प्यार दिल की दिवानगी है प्यार। प्यार एक अहसास है प्यार एक आस है प्यार एक समर्पण है प्यार एक पूजा है, ईबादत है। क्या नहीं है प्यार। सब कुछ है प्यार। बयां नहीं कर पा रहा ह कि आखिर क्या है प्यार । पर मेरे यार वास्तव में बहुत कुछ है प्यार और सब कुछ है प्यार। सृष्टि के कण कण में रचा बसा है प्यार। जहाँ देखो वहीं नजर आता है प्यार। रोम रोम में है प्यार। महसूस करो तो जीवन के पल पल में है प्यार। किसी ने ठीक ही कहा है कि प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो, प्यार कोई खेल नहीं प्यार अहसास है। जी हाँ प्यार तो अहसास है दिल की गहराई से जाना जाता है कि प्यार क्या है। प्यार जीने की प्यास है, प्यार दिल की उमंग है, प्यार जज्बात की रौ है, प्यार आस्था की उचाई है, प्यार समुद्र की गंभीरता है, प्यार आग की तपन है, प्यार बारिस की पहली बद सी निर्मल है, मैं क्या क्या कह क्या नहीं है प्यार। मैं पीछे भागता ह तो आगे आगे दौडता है प्यार और मैं रूक जाता ह तो बुलाता है प्यार। मैं जब नहीं चाहता तो चिढाता है प्यार और जब मैं पाना चाहता ह तो तडफाता है प्यार। जब मैं पीछे होता ह तो आगे बढता है प्यार और तब मैं आगे आता ह तो पीछे धकेलता है प्यार। प्यार पूजा है, आराधना है, आस्था है, ईबादत है व्यक्ति जिसे प्यार करता है उसे भगवान की तरह पूजता है और पुजारी की तरह पूरे मनोयोग से अपने भगवान की पूजा करता है। प्यार का अर्थ है पूजना अपने भगवान को, अपनी आस्था को, अपने विश्वास को। सींचना अपनी मेहनत से अपने पोधे को बिना किसी फल की आशा के। जिस तरह पुजारी के मन में यही विचार रहता है कि उसे बस पूजा करनी है और बस पूजा करनी है अब भगवान को क्या करना है यह तो वही जाने। विश्वास का नाम है प्यार, बिना किसी फल की आशा के। समर्पण है प्यार, त्यागना है प्यार। प्यार में पाने की चाहत नहीं होती। मन करता है कि सब कुछ लूटा द प्यार में। बस जो है वो प्यार ही है। नहीं प्राप्त करना कछ बस देना ही देना है प्यार। प्रेमी पाने की आशा नहीं करता वह तो सिर्फ त्यागना जानता है, वह तो सिर्फ छोडना जानता है। दिनभर में कितने दर्शन करता है पुजारी अपने भगवान के उसी तरह प्रेमी सिर्फ अपने भगवान से प्यार करता है और हर वक्त उसे आशा रहती है कि उसे अपने भगवान के दर्शन हो जाए। ऑंखे तरस जाती है दर्शन को लकिन मन नहीं थकता। उम्मीद रहती है कि अगर है मेरा प्यार सच्ची पूजा तो भगवान को प्रकट होना ही पडेगा। प्रकृति के हर कण में प्यार है। रेगिस्तान की हवा में प्यार है, सागर की लहरों में प्यार है, झरने के गिरने में प्यार है नदी के बहने मे प्यार है। हिमालय की उचाईयों से पानी चल पडता है अपने प्यार को पाने में रास्ते की तमाम बाधाओं को तोडता हुआ, हिलोरे लेता हुआ बस में मन में एक उमंग की पाना है प्रियतम को, रास्ते में झरने के रूप में गिरता है, नदी के रूप में बहता है, लोगों के दोष अपने सिर लेता है और सिर्फ एक ही चाहत है कि मिलना है उस विशाल सागर से जहाँ पर जाकर सब एक हो जाएगा और वो अपने पूर्ण को प्राप्त कर लेगा लेकिन नहीं मिटती वहाँ भी प्यास, सागर में जाकर वह लहरों के रूप में उठता है, हिलोरे लेता है मानो अपने प्यार को पाकर फूला न समा रहा हो और पूरी दुनिया को बता रहा हो कि पा लो अपने प्यार को जी लो लहरों सी जिंदगी और हो जाओ पूर्ण। लहरें भी पाना चाहती है किनारों को दौडती है पत्थर से टकराती है, बिखर जाती है लेकिन फिर सिमटती है बार बार मिटकर अपने प्यार को गले लगताी है। जी हाँ यही है प्यार, मिटना है प्यार, एकाकार होना है प्यार, डर नहीं है प्यार, प्यार तो जीत है, जहाँ जीत भी जाकर समाप्त हो जाती है। शब्दों में नहीं बांधा जा सकता प्यार को। इसे तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है। हवा का झोंका है प्यार, बसंत की बयार है प्यार, भरी गर्मी में टंडी हवा का अहसास है प्यार। इसे सिर्फ और सिर्फ जीया जा सकता है। जिसने चंद्रमा की शीतल चांदनी में कभी रात बिताई ही न हो वो कैसे बता सकता है कि उस रात का मजा क्या है। जिसने कभी गहरी रात में तारों के बीच में पूर्णिमा के चाँद को देखा न हो वो क्या जाने की चंद्रमा की चाँदनी कितनी धवल है। जिन खोजा जिन पाईयां जिसने खोजा उसी ने पाया है। प्यार किस्मत से मिलता है। मिल कर भी नहीं मिलता। खुशनसीब है वे लोग जो प्यार से प्यार करते हैं। जिन्हें प्यार से प्यार मिलता है। प्यार रास्ता दिखाता है, प्यार चलना सिखाता है। प्यार, प्यार, प्यार, प्यार क्या कहँ नहीं है और शब्द मेरे पास। शायद ऐसे ही किसी विषय पर कहा गया है कि सारी पृथ्वी का कागज बना लिया जाए और सातों समुद्रों के पानी की स्याही बना ली जाए और स्वयं गणेश भगवान भी लिखने बैठे तो नहीं लिखी जा सकती प्यार की कहानी।............. अनिल रावत